V.S Awasthi

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मां ब्रह्मचारिणी



मां ब्रह्मचारिणी (दूजा रुप)
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ब्रम्हचारिणी,विघ्नहारिणी मां काटो सबके कलेश।
दूजा रुप तुम्हारा जग में देता सुन्दर सन्देश।।
धर के माता रौद्र रूप तुम दुष्टों का करती संहार।
भक्त तुम्हारी करते पूजा तुम भक्तों से करती प्यार।।
स्नेह, प्यार की करती वर्षा शिष्टता, सौम्य बरसातीं।
धरा का तिमिर हटाती माता जग आलोकित कर जातीं।।
भक्त तुम्हारे पाकर दर्शन घंटा घड़ियाल बजाते।
मां की ज्योति जला सब मिल जयकारे खूब लगाते।।
ममतामयी मां ब्रम्हचारिणी ममता की बारिश करतीं।
भक्त अगर द्वारे आ जाता उसके कष्टों को हरतीं‌‌
ब्रम्हचारिणी मां तुम हो सारी धरती के प्राण।
नवरात्रों में दर्शन हो जाते तो पथिक का हो कल्याण।।

विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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10 Comments

Palak chopra

28-Sep-2022 11:58 PM

Bahut khoob 💐🙏

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Swati chourasia

28-Sep-2022 08:08 PM

बहुत खूब 👌👌🙏🙏

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Punam verma

28-Sep-2022 08:00 AM

Nice

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